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आनंद क्या है ?

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       अच्छा बताओ आनन्द कैसा होता है ? लड्डू जैसा होता है या मलाई जैसा होता है  ?  घी जैसा होता है  ?  दूध जैसा होता है ? आनन्द कैसा होता है ? शरबत जैसा ? गुड का, चीनी का शरबत ? ये शरबत कैसा पदार्थ है ? तरल है कि ठोस है ? तरल है। एक गिलास पिया पेट में गया, थोड़ी देर में पूरे शरीर में फैल गया। तरल पदार्थ का ये लक्षण है। अब सवाल ये है कि आनन्द कैसा होता होगा ? ये तरल है कि ठोस है ? हलवा जैसा है ? गोंदपाक जैसा है ? तो बोले कि इति आनन्दा अमृत रसे विधायकस्य पार्णम्। आनन्द तरल है। आनन्द कैसा है ? तरल है। जैसे किसी कपड़े को पानी में डूबा दो, उसके एक-एक धागा सब गीला हो जाता है। सब जगह पानी पहुंचता है और आदमी जब आनन्द में आता है तो कोई ऐसी जगह है ? कोई ऐसा बोलता है कि मेरे कान में बड़ा आनन्द आ गया। आंख में नहीं आया। आंख में आनन्द आया दांत में नहीं आया। दांत में आनन्द आया, नाखून में नहीं आया। ऐसा कोई बोलता है ? जब आनन्दित होगे तो कैसेे होगे ? आनन्द अमृत रस है और ये पूरे के पूरे मन को आपल्वित करेगा तो पूरा जीवन आनन्दमय हो जाएगा।

चित्त क्या है ?

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       साधारण से जीव  में  भी कितनी चीजें होनी चाहिए ? चित्त होना चाहिए। क्या होना चाहिए ? चित्त होना चाहिए। पहले होना चाहिए चित्त। चित्त से स्मृति बनती है। चित्त में संस्कार बनते है। जो तुम जानते हो बुद्धि में वस्तु का ज्ञान उत्पन्न होता है ये बुद्धि में पड़ा नहीं रहता। एक ज्ञान पड़ा रहेगा तो उसमें दूसरा आ ही नहीं सकता। वो नीचे से फिसल जाएगा तब दूसरा आएगा। ये समझो प्रिंटर नहीं होता, प्रिंटर देखा है। उसके नीचे कागज की थप्पी लगी होती है और वो एक पन्ने को उठाता है। उधर से छपके बाहर निकल जाता है। वो कागज अगर उसके अन्दर अटक गया, दूसरा जा नहीं सकता। वहां पर फिर दूसरा प्रिंट नहीं होगा। वैसे जो भी वस्तु का ज्ञान तुम्हें बुद्धि के अन्दर होता है वो ज्ञान चित्त में याद के लिए निकल जाएगा। प्रिंट हो के जैसे कागज निकलता है ना अलग रास्ते से। चित्त में जाकर संस्कार हो के, थप्पी लग के बैठ जाएगा। जरूरत पड़ने पर फिर  से  ले सकते हो और बुद्धि में अगर जगह खाली होगी तो दूसरा ज्ञान आ के बैठ सकता है ना। घट ज्ञान गया। बुद्धि ज्ञान स्वरूपणी है , घट का ज्ञान हुआ तो...

दूर्वा (दूब) की उत्पत्ति कहां से हुई ?

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भगवान शिव की कृपा का रास्ता

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बादरायण सम्बन्ध क्या है

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ज्ञान के कितने प्रकार हैं ?

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