भगवान की कृपा कैसे हो ?


       शतां शिवम्। शिव शब्द का अर्थ होता है कल्याण प्रदान करने वाले।  शिव मने कल्याण स्वरूप को ही शिव बोलते है। तो क्या सब का कल्याण करते है ? नही करते है। किसका कल्याण करते है ? तो बोले शतां शिवम्। भगवान शंकर कल्याण स्वरूप है लेकिन सज्जनों के लिए कल्याण स्वरूप हैं। तो ये सज्जनों को ही सामने क्यों रखा बाकि को क्यों छोड़ दिया ? इसमें भगवान की कृपा की ऐसी विशेषता है जो दुर्जन है ना वो भगवान शंकर की कृपा से खुद ही वंचित हो जाते है। जैसे मोटर साईकिल चलाते हो तो सिर पर क्या पहनते है ? वो लोहे का अन्दर कपड़े का बना (हेलमेट), और उसी समय अगर बारिश हो जाए तो सिर भीगेगा के नहीं भीगेगा ? पानी तो सबके ऊपर बराबर गिरा, तो अन्दर पानी किसने आने नहीं दिया ? ये लोहे के आवरण (हेलमेट) ने अन्दर आने नहीं दिया। इसी प्रकार भगवान शंकर की कृपा पूरे चराचर जगत में एक जैसी ही बरस रही है और उपलब्ध किसको होता है ? जिसके अन्दर दुर्जनता बनी हुई है ये सिर के ऊपर हेलमेट की तरह है। वो शिव की कृपा को अन्दर आने नहीं देता। बाहर ही रहने देता है। मने कृपा करने वालों में कोई कमी नहीं है, लेकिन कृपा के फलभागी होने वाले ने अपने ऊपर दुर्जनता के आवरण को रख लिया जिसके चलते भगवान ही कृपा से वो अपने आप ही वंचित हो गया।

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